Crime & Court

फिर कलंकित हुई ‘खाकी’ , 50 हजार की रिश्वत लेते ट्रेप

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बाड़मेर पुलिस ‘बदनाम’ हैं. कभी महिला प्रताड़ना के लिए , कभी हिरासत में “हत्याओं” के आरोपों के कारण. इन सबसे अधिक “एक्सपीरियंस” में रिश्वत खाना बाड़मेर पुलिस के लिए आम बात हैं. साजिशें रचकर किसी को जेल भेजने से लगाकर प्रताड़ित करने में बाड़मेर की पुलिस आगे हैं. यही वजह हैं कि आमजनता का भरोसा पुलिस के प्रति नगण्य हैं.

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बाड़मेर.

राजस्थान पुलिस के मुखिया एमएल लाठर से लगाकर मुख्यमंत्री तक सभी भ्रष्टाचार मिटाने की बड़ी बड़ी डींगे हांकने में लगे हैं , दूसरी तरह सूबे में रोज “ख़ाकी” में छुपे भेड़िये राजस्थान पुलिस की भद्द पिटाने में लगे हुए हैं. आमजनता में भरोसा , अपराधियों में भय का नारा भी राजस्थान के थानों के बाहर लिखने मात्र से भ्रष्टाचार मिटाने का असम्भव सा सपना देख रही पुलिस अपने महकमे में छुपे भ्रष्टाचार के पुजारियों से दुःखी हैं.

बाड़मेर के धोरीमन्ना में एसीबी के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक भोपाल सिंह लखावत के निर्देशन में टीम ने कार्रवाई करते हुए दो लोगों को गिरफ्तार किया हैं जबकि मामले में संदिग्ध सहायक उप निरीक्षक से पूछताछ जारी हैं. जोधपुर ग्रामीण से आई एसीबी की विशेष टीम ने गोपनीय परिवाद के आधार पर कार्रवाई की. परिवादी ने एसीबी में शिकायत दर्ज करवाई कि उसके पुत्र और भतीजे के खिलाफ धोरीमन्ना थाने में कोई मामला दर्ज था. जिससे उसके पुत्र श्रवणराम का नाम निकलवाने के एवज में जांच अधिकारी एएसआई मगन खान ने अपने दलाल और कस्बे में गजानंद ईमित्र संचालक ताराराम से मिलवाया और नाम निकालने के लिए 50 हजार रुपए की रिश्वत राशि की मांग की. गुरुवार को ट्रेप कार्रवाई के दौरान परिवादी से 50 हजार रुपए की राशि लेकर ताराराम ने पास बैठे बीरबल राम को दी. तब टीम ने रंगेहाथो उसे गिरफ्तार कर वर्दी की पेंट की जेब से 50 हजार नकद बरामद किये. टीम ने दलाल ताराराम और बीरबल को गिरफ्तार कर मामले की जांच शुरू कर दी हैं. वहीँ एएसआई मगन खान से भी पूछताछ की जा रही हैं. कार्रवाई की सूचना मिलने के बाद जिले भर के थानों में हडकम्प मच गया.

ऐसे फैंका जाल कि उलझकर रह गये ‘ ख़ाकीधारी पब्लिक के चोर

बाड़मेर के धोरीमन्ना में हुई इस कार्रवाई की न तो दलालों को भनक पड़ी और ना ही आरोपी जांच अधिकारी मगन खान भांप पाया. एसीबी के उपमहानिरीक्षक कैलाशचन्द्र बिश्नोई के सुपरविजन में हुई ट्रेप कार्रवाई में इंस्पेक्टर अमराराम खोखर , रीडर मोहन नायक , सिपाही रामकुमार सिंह ,रामकिशोर , भूर सिंह , संजय , छेलाराम , अमर सिंह , प्रेमसिंह ,लालाराम और स्वतंत्र गवाह शामिल रहे.

बदनाम हैं बाड़मेर की पुलिस

बाड़मेर पुलिस ‘बदनाम’ हैं. कभी महिला प्रताड़ना के लिए , कभी हिरासत में “हत्याओं” के आरोपों के कारण. इन सबसे अधिक “एक्सपीरियंस” में रिश्वत खाना बाड़मेर पुलिस के लिए आम बात हैं. साजिशें रचकर किसी को जेल भेजने से लगाकर प्रताड़ित करने में बाड़मेर की पुलिस आगे हैं. यही वजह हैं कि आमजनता का भरोसा पुलिस के प्रति नगण्य हैं.

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