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उदाराम मेघवाल की राजनीति का फैसला समाज के हाथ में ?

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बाड़मेर.

राष्ट्रीय लोकतान्त्रिक पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष और बाड़मेर के जिलाध्यक्ष पद के साथ साथ प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे चुके उदाराम मेघवाल इन दिनों राजनीतिक चर्चाओं के मुख्य केंद्र बने हुए हैं. बीते विधानसभा चुनाव में आरएलपी की टिकट पर शिव से “धमाकेदार” चुनाव लड़ चुके मेघवाल को दलित राजनीति का बड़ा नाम माना जाता हैं. लेकिन , जोधपुर के बहुचर्चित लवली कंडारा एनकाउंटर में रालोपा सुप्रीमो और पार्टी से अलग अलग विचारधारा के कारण विवाद पैदा होने से मिला नोटिस और उनके इस्तीफे के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि मेघवाल फिर से कांग्रेस का रुख कर रहे हैं। हालांकि , उदाराम मेघवाल ने इसे महज कयास ही बताया हैं।

रविवार को पूरा दिन एक सामाजिक कार्यक्रम का फोटो वायरल होता रहा और उसपर राजनीतिक समीकरण बने बिगड़े कि जल्द ही उदाराम मेघवाल फिर से हाथ का साथ निभाने की घोषणा करने वाले हैं। दरअसल , इस फोटो में बाड़मेर से कांग्रेस के विधायक मेवाराम जैन और उदाराम मेघवाल पोज देकर फ़ोटो खिंचवा रहे हैं। उदाराम मेघवाल से जब इस फ़ोटो के बारे में पूछा तो वे बोले “मैं और मेवाराम जैन बालेबा से साथ काम करते आ रहे हैं , यह एक सामाजिक आयोजन का फ़ोटो था जिसमें कोई राजनीतिक मतलब नहीं ढूंढना चाहिए। मेघवाल के अनुसार विधायक मेवाराम जैन और मैं एक ही गांव में जन्मे है और प्रथम बार सरपंच चुनाव में भी मैं साथ रहा हमारी पार्टियों अलग भले रही हो पर हमारे व्यक्तिगत संबंध अच्छे रहे है।”

दूसरी तरफ बाड़मेर विधायक मेवाराम जैन ने भी इस बात को ख़ारिज करते हुए कहा कि “एक सामाजिक कार्यक्रम में यह फ़ोटो खींचा गया था , इसमें मेरी और उदाराम मेघवाल की कोई राजनीतिक बात नहीं हुई।”

आरएलपी छोड़ने के बाद सोशल मीडिया पर तंज-व्यंग्य का दौर चलने की बात पर उदाराम मेघवाल कहते हैं कि जो वोटर नहीं हैं वो नादान बच्चे सोशल मीडिया पर कुछ भी लिख रहे हैं जिसका प्रत्युत्तर देना ठीक भी नहीं। हां , शिव विधानसभा के मेरे मतदाताओं के रोष व्यक्त करने पर मैंने उनसे जरूर बात की और उनका ऋणी भी रहूंगा।

11 नवम्बर को रक्तदान शिविर के दिन शक्ति प्रदर्शन ?

दलित नेता उदाराम मेघवाल का आगामी 11 नवम्बर को जन्मदिन हैं। इस दिन समर्थकों ने बड़े स्तर पर आयोजन रखा हैं जिसमें सैकड़ों यूनिट रक्तदान के साथ साथ सामाजिक स्तर पर मन्त्रणा भी होगी। दावा यह किया जा रहा हैं कि सिर्फ दलित वर्ग ही नहीं बल्कि अन्य समाजों से भी रक्तदान के लिए लोग उमड़ेंगे। ऐसे के राजनीति में दिलचस्पी रखने वालों के लिए 11 नवम्बर काफी खास रहने वाला हैं।

उदाराम मेघवाल के बारे में कहा जाता हैं कि समाज के लिए आंदोलन और संघर्ष उनकी पहचान हैं। बीते 3 दशकों की बात करें तो उदाराम मेघवाल बड़े दलित नेता के रूप में उभरे हैं और समाज के लिए सड़क पर संघर्ष करने के ‘अनुभवी’ नेता हैं।

आरएलपी से टूट गया दलित वोट बैंक ?

उदाराम मेघवाल के इस्तीफे के बाद पार्टी स्तर पर नोटिस देने से लगाकर उनके खिलाफ बयानबाज़ी का दौर बहुत जल्दी शुरू कर पार्टी ने दलित वोट बैंक को नाराज़ किया हैं। अगर , उदाराम मेघवाल को बाड़मेर के दलित वोट बैंक का बड़ा “लीडर” आरएलपी नहीं मानती तो पार्टी को अपने “थिंक टैंक” के रीत जाने की ख़बर शायद नहीं हैं। पार्टी में सिर्फ सुप्रीमो की विचारधारा पार्टी की विचारधारा नहीं बन सकती। साथ ही पार्टी सामुहिक विचारधारा से ताकतवर बनती हैं एक व्यक्ति की सोच कभी पार्टी पर नहीं थोपी जा सकती।

द बाड़मेर टाइम्स के सवाल और मेघवाल के जवाब

सवाल – आपका अगला राजनीति पड़ाव कहाँ होगा ?

उत्तर – मैं समाज से राय लेकर अगला कदम उठाऊंगा। समाज के लिए संघर्ष “सामाजिक कार्यकर्ता” के रूप में करता रहूंगा।

सवाल – आप से कोई राजनीतिक दल सम्पर्क में हैं ?

जवाब – मैंने कांग्रेस , भाजपा और बाद में आरएलपी में काम किया। आरएलपी से चुनाव भी लड़ा। अब वहां नहीं हूं। समाज से बात करूंगा , समाज जो कहेगा वो करूंगा। 

सवाल – आप आरएलपी छोड़ने के बाद पार्टी समर्थकों के निशाने पर हो ?

जवाब – सही हैं कि मुझे निशाना बनाया जा रहा हैं। लेकिन, मैंने जो कुछ देखा , समझा हैं। मुझपर लिखने वाले नाबालिग बच्चे हैं जिनका वोट भी अभी नहीं लगता। मैंने उन्हें कोई प्रत्युत्तर नहीं दिया न ही दूंगा। हां , जिन मतदाताओं ने मुझे बीते विधानसभा चुनाव में वोट दिया उनका मैं ऋणी हूँ। उनसे बात भी की हैं। मैंने कुछ समय में बहुत बदलाव किया हैं , पार्टी में रहते हुए कभी असंसदीय भाषा का उपयोग नहीं किया इसलिए मुझसे कोई नाराज नहीं हैं और न ही मुझसे किसी का मनभेद हैं।

सवाल – आप का एक फ़ोटो विधायक मेवाराम जैन के साथ वायरल हुआ हैं , क्या कांग्रेस की तरफ आपके कदम बढ़ रहे हैं ?

जवाब – मैं और विधायक 1990 से साथ हैं , उनके साथ सरपँच चुनाव से साथ रहा हूँ। यह फोटो सामाजिक कार्यक्रम का हैं। पार्टी जॉइन करने जैसी कोई बात नहीं हैं।

सवाल – कैसे फैसला होगा ?

जवाब – समाज के 51 फीसदी लोग जहाँ कहेंगे जाऊंगा , लोकतंत्र में सबसे बड़ा फैसला जनमत के आधार पर होता हैं। जनमत ज्यादा जिस तरफ होगा फ़ैसला हो जाएगा। 

(उदाराम मेघवाल से दूरभाष पर हुई बात के आधार पर)

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