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पीछे हटे तो गोली मार दी जाएगी,परमवीर चक्र कैप्टन बाना सिंह

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युवाओं को देश के लिए अपना सर्वोच्च न्यौछावर करने वाले शहीदों के परिवार,सेना के जवानों व युवाओं को सेना में भाग लेंने हेतु प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से आयोजित थार के वीर का तीसरा संस्करण में परमवीर चक्र कैप्टन बाना सिंह ने साझा कि अपने युद्ध की वीरगाथा

बाड़मेर. मातृभूमि के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान देने वाले शहीद परिवारों के सम्मान में बाड़मेर के आदर्श स्टेडियम में एक फिर थार के वीर कार्यक्रम का आयोजन किया गया,कार्यक्रम के पूर्व के दो संस्करणों में देश मे वीरता के सबसे बड़े सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित दो योद्धा पहले ही शिरकत कर चुके है वही इस बार के आयोजन में परमवीर चक्र से नवाजे गए अंतिम तीसरे योद्धा कैप्टन बाना सिंह, सीआईएसएफ कमांडेट कीर्ति चक्र चेतन कुमार चीता,सीआरपीएफ के डिप्टी कमाडेंट कीर्ति चक्र राहुल माथुर,राष्ट्रपति वीरता पुरस्कार संदीप मिश्रा ने इस कार्यक्रम में शिरकत कर की।इस कार्यक्रम में ज़िले के आर्मी,अर्धसैनिक बलों,रेलवे,पुलिस विभाग व युद्ध मे देश की सेना से कंधे से कंधा मिलाकर लड़े आम लोगों को भी सम्मानित किया गया।इस दौरान एयर फोर्स, बीएसएफ,आर्मी अधिकारी जवान व बाड़मेर जिले के प्रशासनिक अधिकारी उपस्थित रहे।इस कार्यक्रम में परमवीर चक्र व कीर्ति चक्र से सम्मानित योद्धाओं को देखने व सुनने हजारों संख्या में भीड़ एकत्रित हो शहीदों के सम्मान में उपस्थित जन सैलाब को परमवीर चक्र कैप्टन बाना सिंह, कीर्ति चक्र चेतन चीता, कीर्ति चक्र राहुल माथुर,संदीप मिश्रा सहित एयरफोर्स,आर्मी और बीएसएफ के अधिकारियों ने संबोधित किया।

शहीद परिवारों का सम्मान

कार्यक्रम में शहीद परिवारों का सेना के अधिकारियों व जिले के प्रशासनिक अधिकारियों ने स्मृति चिन्ह व शाल ओढ़ाकर सम्मानित सम्मान व बहुमान किया गया इस दौरान जिले में कोयला खनन के क्षेत्र में कार्यरत साउथ वेस्ट माइनिंग लिमिटेड कंपनी की ओर से शहीद के परिजनों को 5100- 5100 रुपये की नगद राशि देकर आर्थिक सहयोग दिया गया।इस कार्यक्रम का उद्देश्य बाड़मेर के युवाओं को भारतीय सेना और सुरक्षा बलों में भागीदारी बढ़ाने की,शहीद परिवारों, सैनिकों के प्रति आम जन में सम्मान को प्रेरित करने के उद्देश्य से तीसरी बार थार के वीर का आयोजन किया गया है, इस कार्यक्रम में शामिल देश के सर्वोच्च सम्मान से सम्मानित योद्धाओं ने अपने वीर कथाएं व लड़ाई यों के अनुभव जनता के बीच साझा किए।

मर जाना पीछे मत हटना,पीछे हटे तो गोली मार दी जाएंगी

कार्यक्रम में परवीर चक्र से नवाजित कैप्टन बानासिह ने कहा 1987 में सियाचीन में ड्यूटी पर था,वह एक जवान के टेंट में दो लोग सोते थे तापमान माईनस 50 डिग्री से नीचे रहता था हमारी बटालियन गर्म प्रदेश से स्थानांतरित होकर आयी थी इसके चलते हमारे साथी जवान शहीद हो गया,लेकिन हमारे कमांडर ने कहा कि मर जाना मगर अपना उद्देश्य पूरा किये बिना लौटना उन्होंने कहा की ये भारत है तुम 6 जवान शहीद होंगे तो पीछे 600 सेना में भर्ती हों जाएंगे. कमांडर की इन्हीं वाक्यों ने हम में जोश व ऊर्जा भर दी और सियाचिन में 21 हजार फीट ऊँचाई पर स्थित कायद पोस्ट पर भारत का तिरंगा लहरा दिया जिस पर लंबे समय से पाकिस्तान का कब्जा था हमनें टीम में शामिल 6 सदस्यों के साथ पोस्ट पर फ़तेह हासिल की और पाकिस्तानियों के मन में था कि यहां पर कोई नहीं पहुंच सकता है,हमने कोई बड़ा काम नही किया सरकार ने और हमारे कमांडर ने जो काम सौंपा बस उसको लगन व ईमानदारी से किया इसके बाद सरकार उस पोस्ट का नाम ही मेरे नाम पर कर दिया और मुझे परमवीर चक्र से सम्मानित किया।

राजस्थान में सेना भर्ती होने पर परिवार को गर्व महसूस होता है

कार्यक्रम में कीर्ति चक्र विजेता चेतन कुमार चीता ने जब कश्मीर घाटी में आंतक कारियों के साथ हुई मुठभेड़ का वृतांत सुनाया तो थार का कण-कण देश भक्ति के तरानों से गूंज उठा। चीता ने कहा कि थार के घर-घर में देश भक्त मौजूद हैं। यहां के हर नौजवान में वीरता भरी है।इस थार ने हजारों सालों से विदेशी आक्रांताओं से वीरता से सामना किया है इतिहास उठाकर देखलो जितने हमले इस पश्चिम क्षेत्र ने झेले है उतने किसी ने नही झेले उन्होंने कहा कि वीरता खून में होती है, इसके लिए अलग से इंजेक्शन लगाने की जरूरत नहीं है।ये राजस्थान है यंहा फ़ौज में भर्ती के बाद परिवार में चिंता नही गर्व होता है उन्होंने आमजन से देश सेवा के लिए सदैव तत्पर रहने की बात कही।

नक्सलियों के हमले में आंखों की रोशनी चली गयी,फिर भी देशसेवा का जज्बा कायम

सीमा सुरक्षा बल में तैनात राष्ट्रपति वीरता चक्र से सम्मानित संदीप मिश्रा ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि सेना में अधिकारी के रूप में कमीशन लेने के बाद ट्रेनिंग के बाद आर्मी के साथ अटैचमेंट में तिनसुकिया असम में पुलिस के साथ 13 दिसंबर 2000 की एक ऑपरेशन में गए। वहां घात लगाकर बैठे नक्सलियों ने गोलीबारी शुरू कर जिससे उन्हें पांच गोलिया लगी। एक गोली बांयी आंख में लगती हुई नाक की हड्डी को चीरती हुई निकल गयी डॉक्टरों ने कहा कि अब जिंदगी में कभी देख नहीं पाओगे इससे बाद निराशा को पास तक नही भटकने दिया और सेना में वापसी करते हुए देहरादून में ही हेबीटेशन में कप्यूटर कोर्स ज्वाइन किया। इसके बाद बीएसएफ एकेडमी टेकनपुर में कंप्यूटर सीखा रहा हूं।

ऑफिस की तैनाती छोड़ जंग का मैदान चुना

सेना में सफर के शुरुआती 2 साल तक ऑफिस में तैनाती के चलते दुश्मन से सामना नहीं हुआ तो मन में हताशा छा गई,ये तो नही करने आया सेना में इसके बाद फील्ड पोस्टिंग ली और जम्मू कश्मीर में आतंकियों को ढूंढकर निकालो और मारो के मिशन में लग गए लेकिन इसमें भी 1 साल में किसी आतंकी से सामना नही हुआ तो सोचा की सेना ने जो हथियार दिया है वो चलेगा या ऐसे ही जंग न खाने लगे लेकिन जिस उद्देश्य से सेना में भर्ती हुआ वो आखिर पूरा हुआ।सूचना मिली थी की किसी घर मे आंतकी छिपे हुए है रात का समय था में अपने तीन साथियों के साथ निकल गया उनको पकड़ने लेकिन टास्क मुश्किल था आम लोगों में छिपे आतंकियों को पकड़ना भी था लेकिन स्थानीय लोगों के सुरक्षा की जिम्मेदारी भी साथ थी ऐसे में जैसे ही सर्च के दौरान 6 फिट की दीवार फांद कर घर मे गुस्से तो सीढ़ियों के पीछे आतंकियों ने अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी जिसमें एक गोली मेरे सीने को चीरती हुई निकल गयी और दूसरी मेरे पेट मे जा लगी लेकिन फिर भी जैसे तैसे खुद को संभाला और एक आतंकी को मैने मार गिराया लेकिन वे तीन लोग थे अंदर में अकेला जैसे ही बाहर निकला तो बेहोश हो गया लगा की अब बस अपना मकसद पूरा हुआ और अब बचना नही है और बेटियों के चेहरे आंखों सामने दिखने लगे लेकिन 10 दिन आईसीयू में रहने के बाद ठीक हुआ और वापस अपनी मोर्चे पर लौट गया और अब दुश्मन से सामने करने को तैयार हूं।

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