बाड़मेर.बाड़मेर-जैसलमेर के पूर्व सांसद व दिग्गज जाट नेता कर्नल सोनाराम चौधरी ने गुरुवार को पहली बार जन्मदिन मनाकर शक्ति प्रदर्शन किया,इस जन्मदिन को कर्नल सोनाराम चौधरी के फिर से राजनीति सक्रिय होने के कयासों को हवा दे दी है। उनके इस शक्ति प्रदर्शन में भाजपा के साथ साथ कांग्रेस के कई बड़े नेता शामिल हुए इस जन्मदिन के कार्यक्रम में पचपदरा विधायक मदन प्रजापत जिला प्रमुख महेंद्र चौधरी पूर्व मंत्री व जिला प्रमुख मदनकौर बायतु से बसपा के टिकट पर चुनाव लड़े किशोर सिंह कानोड़ सहित कई जनप्रतिनिधि व पार्टियों के पदाधिकारियों की मौजूदगी ने राजनीतिक गलियारों में हलचल पैदा कर दी है।
फिर छलका 2018 की हार का दर्द
कर्नल सोनाराम चौधरी का जन्मदिन के अवसर पर बातचीत के दौरान 2018 की विधानसभा चुनाव में मिली हार का दर्द एक बार फिर छलक गया उन्होंने किसी का नाम लिए बगैर कहा कि चुनाव में बाड़मेर शहर से उन्हें 25000 वोटों से पीछे रहना पड़ा इसका कारण सबको पता है और आज उन्हीं लोगों को पार्टी ने पद दे रखा है।
लंबा राजनीतिक सफर,चार बार सांसद एक बार विधायक
कर्नल सोनाराम चौधरी ने 25 वर्ष की सैन्यसेवा के बाद स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति होकर 1996 पहली बार कांग्रेस की टिकट से बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा का चुनाव लड़ा और भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेता जोगराज सिंह को हराकर संसद पहुंचे और 1998 में हुए दोबारा आम चुनाव में कर्नल सोनाराम चौधरी ने राजस्थान के दिग्गज राजपूत नेता कल्याण सिंह कालवी के पुत्र लोकेंद्र सिंह कालवी को हराया और 1999 के चुनाव में भाजपा के संस्थापक सदस्य रहे जसवंत सिंह जसोल के पुत्र मानवेंद्र सिंह जसोल को हराकर लगातार तीन बार सांसद बने इसके बाद 2008 में जब नये विधानसभा क्षेत्रों का गठन हुआ तो कर्नल सोनाराम चौधरी ने नवगठित बायतु विधानसभा से कांग्रेस से चुनाव लड़ा और विधायक बन कर विधानसभा पहुँचे।
2008 चुनावों के बाद अशोक गहलोत के खिलाफ खोला मोर्चा
2008 के विधानसभा चुनाव के बाद कर्नल सोनाराम चौधरी मुख्यमंत्री की दौड़ में थे लेकिन कांग्रेस ने अशोक गहलोत को कमान सौंप दी इसके बाद उनकी और गहलोत के बीच तनातनी जगजाहिर थी इसके बाद रिफाइनरी मुद्दे को लेकर भी अशोक गहलोत वह कांग्रेस पार्टी के खिलाफ रहे।
कांग्रेस छोड़ भाजपा मेंशामिल हुए
2014 आम चुनाव में जसवंत सिंह जसोल और वसुंधरा राजे के बीच चल रही खींचतान के चलते वसुंधरा राजे ने कर्नल सोनाराम चौधरी कि भाजपा में एंट्री करवाते हुए बाड़मेर जैसलमेर लोकसभा से भाजपा की टिकट भी दिलवा दी और कर्नल सोनाराम चौधरी ने इस चुनाव में जसवंत सिंह जसोल को 80 हजार से अधिक वोटों से हराकर उनका अपने क्षेत्र से सांसद बनने का सपना तोड़ दिया।
25 साल के राजनीतिक सफर में बड़ी हार भी देखी
कर्नल सोनाराम चौधरी ने अपनी राजनीति के 25 साल के सफर में कई बड़े दिग्गज नेताओं को चुनाव में मात दी और खुद भी कई बार शिकस्त खा गए. उन्हें 2004 के लोकसभा चुनाव में मानवेंद्र सिंह जसोल ने भारी मतों से हराया था वही वर्तमान बाड़मेर जैसलमेर सांसद व केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने 2013 के विधानसभा चुनाव में बायतु से चुनाव करारी शिकस्त दी थी। वहीं 2018 के चुनाव में भाजपा के टिकट पर बाड़मेर विधानसभा से चुनाव लड़े कर्नल सोनाराम चौधरी करीब 35000 मतों से कांग्रेस के मेवाराम जैन से मात खा गए थे।
स्थानीय भाजपा संगठन से भी ठन गयी
2018 के विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद कर्नल सोनाराम चौधरी भाजपा के स्थानीय संगठन व नेताओं के खिलाफ मोर्चा खोलकर लगातार बयानबाजी करते रहे.इसके बाद स्थानीय निकाय चुनाव में अनदेखी के आरोप लगाते हुए तल्ख टिप्पणीयां करते रहे है. और पंचायती राज चुनाव में जिला परिषद सदस्य के टिकट की दावेदारी करते हुए चुनाव लड़ने की मंशा जताई थी लेकिन पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया इसके बाद कर्नल सोनाराम चौधरी लंबे समय तक शांत रहे और गुरुवार को अपने जन्मदिन पर हजारों समर्थकों की भीड़ इकट्ठा कर उनके सक्रिय राजनीति में आने के कयासों को हवा दे दी है।