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एक साधु का हठयोग 45 डिग्री अंगारे बरसाती गर्मी मे आग के बीच तपस्या

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बाड़मेर. राजस्थान के भारत पाक सीमा के करीब स्थित बाड़मेर के रेगिस्तान में तापमान 45-50 तक पहुंचना कोई आश्चर्य की बात नहीं है लेकिन इसी अंगारे बरसाती गर्मी के बीच एक साधु आग के घेरे में बैठकर हठ योग (खपर धूनी) तपस्या लोगों में चर्चा का विषय बनी हुई है। यह साधु दिन में डेढ घंटे तक अपने चारों ओर आग जलाकर तपस्या करते है जिसे हठ योग करते हैं। बाबा का कहना है कि वो पिछले 17 साल से लगातार हठ योग कर रहा हूं। बाड़मेर में शिव मुंडी गणेश मंदिर के पास बैठकर बाबा साधना कर रहे हैं।

बाबा सियाराम मूलत: उड़ीसा के रहने वाले हैं। सियाराम महाराज ने 13 साल की उम्र में बनारस आश्रम में संन्यास लेकर सीताराम महाराज से दीक्षा ली थी। बाबा साल 2010 में बाड़मेर आए थे, तब से यहीं हैं। उन्होंने बताया कि हठ योग 18 साल के लिए होता है। बाबा कहना है- यह तपस्या सदियों से चली आ रही है। आज के समय में यह तपस्या कम साधु-संत ही करते हैं।

सिर पर आग की मटकी
तेज धूप में जहां लोग घर से बाहर नहीं निकल रहे, वहीं बाबा सियाराम दोपहर करीब 12 बजे चारों तरफ गोबर के कंडे जलाकर बैठ जाते हैं। आग की आंच के बीच में तपस्या करते हैं। फिर मटकी में आग लगाकर सिर पर रख लेते हैं।

18 साल का हठ योग
बाबा सियाराम का कहना है कि 18 साल का हठ योग अनुष्ठान है। हर साल गर्मी के मौसम में 4 महीने 10 दिन तक ये अनुष्ठान होता है। यह तपस्या जन कल्याण के लिए कर रहे हैं। बाबा कहना है कि 17 साल से मैं हठ योग तपस्या कर रहा हूं। 2005 में तपस्या शुरू की थी। गुरु के निर्देश से तपस्या कर रहा हूं। इस तपस्या से जनता का कल्याण होगा। कई लोग कहते हैं कि हठ योग नहीं करना चाहिए, लेकिन आदिकाल से हठ योग होता आ रहा है।

दादा गुरु ने आश्रम बनाए थे
बाबा का कहना है कि मेरे दादा गुरु सीताराम ने बाड़मेर शिव मूंडी के नीचे आश्रम बनाया था। दादा गुरु ने चालीस साल तक यहां पर रहकर तपस्या की थी। दादा गुरु ने मुझे यहां पर बुलाया था। तब से यहीं पर हर साल गर्मी के मौसम में तपस्या करता हूं।

हठ योग गर्मी के समय में होता है
बाबा सियाराम का कहना है कि हठ योग कोर्स में अनुष्ठान चार महीने में गर्मी के समय में किया जाता है। माघ की वसंत पंचम से लेकर ज्येष्ठ गंगा दशहरा तक अनुष्ठान होता है। इस अनुष्ठान में धूप से कोई लेना-देना नहीं होता है। जब तक जप करते हैं तब तक न तो गर्मी लगती है और न ही आग का तप लगता है।

तपस्या के 6 चरण सभी 3-3 साल के
बाबा सियाराम के मुताबिक अग्नि तपस्या (साधना) में 6 चरण होते हैं। सभी चरणों में अलग-अलग तरीके से तपस्या करनी होती है एक चरण तीन साल का होता हैं,पंच धूनी (3 साल), सप्त धूनी (6 साल), द्वादश धूनी(9 साल), चौरासी धूनी (12 साल), कोट धूनी(15 साल) और खपर धूनी (18 साल) होती है। अभी खपर धूनी चल रही है।

खपर धूनी साधना
आश्रम से जुड़े बसंत खत्री का कहना है कि महाराज सियाराम खपर साधना करते है। चारों तरफ अग्नि जलाकर सिर पर मटकी रखकर यह साधना करते हैं। खत्री का कहना है कि हिन्दू धर्म में सनातक धर्म से ऋषि मुनि साधना करते आए हैं। कोई जल में तो कोई अग्नि में साधना करते हैं।

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