रविन्द्रसिंह भाटी का शिव की जनता की नब्ज़ पढ़ने का बड़ा ‘शो’
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“अगर, शिव में आयोजित “रन फॉर रेगिस्तान” का आयोजन राजनीतिक नहीं होता तो रविन्द्र सिंह भाटी खुद मैदान में इस तरह से उतर कर पूरी ताकत नहीं झोंकते , उनको भी मालूम हैं कि रन फॉर रेगिस्तान में आने वाली भीड़ से उनको बड़ा निर्णय लेना हैं जो उनके राजनीतिक भविष्य को तय करेगा. वृहद जनसम्पर्क से मिले समर्थन से भाटी बहुत उम्मीदें बांधे हैं”
शिव विधानसभा में लम्बे समय के बाद चुनावी वर्ष की हलचल करीब 11 महीने पहले ही शुरू हो गई हैं. ऐसा पहले कभी दिखा तो जरुर लेकिन इस बार की तुलना में बहुत कम दिखा.
इस बार शिव विधानसभा की स्थितियों में चार महत्वपूर्ण बदलाव हुए हैं. पहला बदलाव कांग्रेस के दिग्गज अल्पसंख्यक कांग्रेसी नेता अमीन खान उम्र की वजह से राजनीति से स्वैच्छिक सेवानिवृति ले रहे हैं.
दूसरा भारतीय जनता पार्टी में दर्जनों दावेदार पार्टी के कन्फ्यूजन बढ़ाए हुए हैं. तीसरा हनुमान बेनीवाल की आरएलपी के बीते चुनाव के प्रत्याशी उदाराम मेघवाल जैसा दलित-जाट वोटबैंक खींचने वाला कोई चेहरा नहीं हैं जबसे उदाराम मेघवाल ने पार्टी छोड़ी बड़ा दलित वोटबैंक बेनीवाल की पार्टी से दूर हैं.
सबसे महत्वपूर्ण चौथा बदलाव यह हैं कि अबतक युवा छात्र नेता का तमगा सजाये लोकप्रियता भुनाने वाले रविन्द्र सिंह भाटी इलाके में चर्चा बन गये हैं. भाटी के शिव विधानसभा में एंट्री लेने के बाद से सभी राजनैतिक दल भी चिंता की मुद्रा में हैं.
जानकार बताते हैं कि “अगर, शिव में आयोजित “रन फॉर रेगिस्तान” का आयोजन राजनीतिक नहीं होता तो रविन्द्र सिंह भाटी खुद मैदान में इस तरह से उतर कर पूरी ताकत नहीं झोंकते , उनको भी मालूम हैं कि रन फॉर रेगिस्तान में आने वाली भीड़ से उनको बड़ा निर्णय लेना हैं जो उनके राजनीतिक भविष्य को तय करेगा. वृहद जनसम्पर्क से मिले समर्थन से भाटी बहुत उम्मीदें बांधे हैं”
रविन्द्र सिंह भाटी अब सबसे चर्चित युवाओं में..
वर्ष 2019 , जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर के 57 साल के छात्रसंघ चुनावी इतिहास में यह पहली बार था जब कोई छात्रनेता 2019 में पहली बार निर्दलीय जीतकर आया हो. चुनाव में इस छात्रनेता ने 1294 वोटों से जीत दर्ज हुई उसके बाद युवा राजनीति के रूप में एक बड़ा चेहरा रविन्द्र सिंह भाटी बनकर उभरे.
बाड़मेर के दुधोड़ा के रहने वाले हैं रविन्द्र
3 दिसम्बर 1990 को राजस्थान के बाड़मेर जिले के शिव विधानसभा के दुधोड़ा गांव में भाटी राजपूत परिवार में हुआ था। रविंद्र सिंह भाटी के पिता शैतान सिंह भाटी शिक्षक, जबकि उनकी माता अशोक कंवर गृहणी हैं। रविन्द्र विवाहित है, उनकी पत्नी का नाम धनिष्ठा कंवर है।
आज हैं बड़ी परीक्षा
भले ही रविन्द्र सिंह भाटी ने चुनाव लड़ने या ना लड़ने की बात पर स्पष्ट कुछ ना कहा हो लेकिन जनता के आदेश का जिक्र भी हर बार किया हैं कि जनता जो चाहेगी वो करेंगे. ऐसे में जनता के बीच की सोच को परखने के लिए शिव विधानसभा में “रन फॉर रेगिस्तान” नाम से बड़ा जनसमूह इकट्ठा करने का प्रयास हुआ हैं. इसके लिए बड़ा मंच भी हैं और विशाल मैदान भी हैं. जिसमे कितने जुटते हैं उसे ही जनता की इच्छा मानकर भाटी आगे का कदम बढ़ा सकते हैं.
पार्टियों को सन्देश ”नजरंदाज़ नहीं किया जा सकता” ?
शिव विधानसभा में बीते कई दिनों से रणनीति के मुताबिक ही व्यापक जनसंपर्क चलाया जा रहा हैं. अब तक गाँवों से लगाकर मंदिर मठों तक से पोस्टर विमोचन अपडेट सामने आती रही हैं. तो बीते कुछ अपडेट अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ियों के सन्देश और गीतों के माध्यम से पहुँच रही हैं. प्रचार के अंतिम दौर में रविन्द्र सिंह भाटी शिव मुख्यालय में बाजार भर में लोगों से घूम घूम कर मिले तो स्वागत में शिव के लोगों ने खूब फूल बरसाए. ऐसे में एक बात समझना आसान हैं कि गज़ब क्रेज इलाके में रविन्द्र का हैं. कई बार रविन्द्र भाटी कहा चुके हैं कि वो हर पार्टी के साथ सम्पर्क में हैं. ऐसे में यह आयोजन पार्टियों को सन्देश देने का काम करेगा कि रविन्द्र को नजरंदाज़ नहीं किया जा सकता.
लम्पी बीमारी के समय घर घर पहुंचे
रविन्द्र सिंह भाटी ने कुछ महीने पहले बाड़मेर में सरहदी इलाके के हर गाँव तक पहुँच कर सबसे ज्यादा गोवंश को राहत पहुंचाई. वैक्सीन से लगाकर दूसरी चिकित्सा सुविधाएँ भाटी की टीम ने पहुंचाई. उस दौरान सरकार के मंत्री और नेता इस तरह से सक्रिय नजर नही आये. शिव इलाके में गोवंश हजारो परिवारों की आजीविका का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं.