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वाटर लॉगिंग से जूझता बाड़मेर

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कई मकानों में 24 घण्टे तक पानी निकालने के लिये चलती हैं मशीने

Durgsingh Rajpurohit

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बाड़मेर। रेगिस्तान में आबाद बाड़मेर शहर जो पानी की बूंद-बूंद को तरस रहा था, यहां आश्चर्यजनक तरीके से “वाटर लोगिंग” की समस्या शुरू हो गई है। करीब आधे शहर में मकानों के अंडरग्रउंड में पानी भरने लगा है और भूजल स्तर इसी तरह बढ़ता रहा तो आने वाले समय में पूरे शहर के यही हाल होंगे। समय रहते इसके बारे में नहीं सोचा गया तो गंभीर परेशानी से शहर के घिरने की आशंका है। 

कभी तरसता था, अब परेशानी बना
तेल और गैस के बूते देश की आर्थिक राजधानी बन रहा बाड़मेर शहर जमीन पर तेजी से विकास के घोड़े दौड़ा रहा है लेकिन भूगर्भ में निरंतर जमा हो रहा पानी शहर के लिए बड़ी और गंभीर समस्या को न्योता दे रहा है। शहर में बेहिसाब दोहित हो रहा पानी “लॉक” हो रहा है। बेन्टोनाइट, ग्रेवल और आग्नेय चट्टानें पानी को नीचे रिसने नहीं दे रही है, लिहाजा जलस्तर द्रुतगति से बढ़ने लगा है। प्रशासन, नगरपरिषद और भू वैज्ञानिकों की ओर से इस ओर से समय रहते कदम नहीं उठाए गए तो यह समस्या शहर को गंभीर संकट में खड़ा सकती है। 

मारवाड़ का जोधपुर शहर का भी एक बड़ा इलाका वाटर लॉगिंग के बुरे परिणाम भुगत रहा है। बाड़मेर शहर करीब पांच किलोमीटर की परिधि मेें फैला हुआ है। शहर की भूगर्भीय के मुताबिक यहां एक से छह मीटर की गहराई तक सोईल क्ले(मुरडा) और बेन्टोनाइट की पूरी लेयर है। यह लेयर भूगर्भ वैज्ञानिकों के मुताबिक 150 मीटर तक गहरी है। ऎसे में जमीन और मुरड़े के बीच का जो भाग है,उसमें प्रतिदिन जमीन में जाने वाला पानी जमा तो हो जाता है लेकिन नीचे जाने को जगह नहीं मिल रही है।लिहाजा यह पानी जमीन और इस परत के बीच ही जमा होकर “लॉक” हो गया है। इस पानी का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है।

इस कारण बाड़मेर शहर के वो क्षेत्र जो ढलान में है वहां पर एक दो फीट पर ही पानी निकलने लगा है। पुराना शहर जहां मकान में अण्डरग्राउण्ड बनाकर जीवन जीता था अब नए बाड़मेर में अण्डरग्राउण्ड छोड़ नीवें खोदना भी मुश्किल हो गया है। जमीन को खोदते ही पानी आ जाता है और इसे मोटर से बाहर निकालते निकालते लोग थक जाते है। जिन्होंने पहले अण्डरग्राउण्ड बना लिए है वे भी दु:खी होने लगे हैऔर इनको भरवाने का जतन करना पड़ रहा है। शहर में सुरसा के मुंह की तरह बढ़ रही इस समस्या का समाधान नहीं हो रहा है। नगरपरिषद को इसके लिए योजना बनाकर गंभीरता से कार्य करने की दरकार है लेकिन अभी तक आम आदमी खुद ही जमीन से निकल रहे इस पानी से जूझ रहा है।

सैकड़ों लीटर पानी आ जाता है
प्रतापजी की प्रोल के निकट रहने वाले कई परिवार  दिक्कत में हैं और उनकी  बहुमंजिला इमारत में व्यवसायिक लिहाज से बना बड़ा अण्डरग्राउण्ड उनके लिए परेशानी बन गया है। इसमें प्रतिदिन सैकड़ों लीटर पानी आ जाता है। लोगों ने अण्डरग्राउण्ड का आंगन तुड़वाकर इसमें तीन मोटर लगाई है। पाइप के जरिए इस पानी को बाहर नाली में फैंकते है। पानी इस गति से बाहर आता है जैसे टे्रक्टर के टैंकर से पानी बाहर आ रहा हों। परेशान लोगों को प्रतिमाह हजारों रूपए इस पर खर्च करने पड़ रहे है। वे बताते है कि इसको लेकर कई बार अधिकारियों से संपर्क किया। प्रतापजी की प्रोल के कई घरों मे यह समस्या है।

मकान बनाना मुश्किल
नेहरू नगर इलाके में जैसे ही नींवों की खुदाई होती है, गड्ढ़ा करते ही पानी निकल आता है। मकान मालिक को पहले इस पानी के लिए जतन करना पड़ता है। इसके लिए आरसीसी से तल का निर्माण करवाना, केमिकल डालना और कई प्रकार के खर्चे करने के बाद ही मकान खड़ा हो पाता है।इसके बाद भी लोगों को यह चिंता सता रही है कि उनका मकान सुरक्षित है या नहीं।

भरवाना पड़ा अण्डर ग्राउण्ड
हाईस्कूल के ठीक सामने की कॉलोनी और इसके पिछवाड़े महेश्वरी भवन के निकट बने आलीशान मकानों तक यह समस्या पहुंच गई है। यहां रहने वाले बताते है कि मकान के नीचे बड़े चाव से अण्डरग्राउण्ड बनायाथा। इस अण्डरग्राउण्ड में पानी का भराव हो गया।समस्या का और कोई समाधान नहीं होने पर पूरे अण्डरग्राउण्ड को मिट्टी से भरवाना पड़ा।उनके मौहल्ले में और लोगों ने भी अलग-अलग तरीके से समाधान किए है।पानी की समस्या ने परेशानी पैदा कर दी है।

ऎसी है बाड़मेर की भूगर्भ संरचना
बाड़मेर के भूविज्ञान को देखे तो यहां भूगर्भ में आग्नेय चट्टाने है। जो प्री केम्ब्रियन काल की है। उसके ऊपर ट्रीटेशियम काल की बाड़मेर हिल फॉर्मेशन की चट्टाने है। उसके ऊपर अकली फोर्मेशन का क्ले व बेन्टोनाइट है। उसके ऊपर क्वार्टनरी एल्युवियम तथा हार्ड डेजर्ट सेण्ड है। यहां पहले पानी का रिचार्ज नहीं था, लेकिन नहरी पानी का आना और बरसात की अधिकता हुई है। टयूबवेल भी नहीं रहे है। ऎसे में रिचार्ज बढ़ गया है। क्ले व बेन्टोनाइट चट्टाने पॉलिथिन की मानिंद व्यवहार कर रही है। इससे पानी ऊपर से जाकर नीचे एकत्रित हो रहा है। यही वाटर लॉगिंग की वजह है। इसके दुष्परिणाम होंगे।अभी बेन्टोनाइट को पानी ने छुआ नहीं है। ऎसा होते ही बेन्टोनाइट फूलेगा और मकानों में दरारों की समस्या आएगी। जोधपुर इस समस्या से रूबरू है। प्रशासन अभी से चेते और इस गंभीर समस्या को गंभीरता से लेते हुए उपाय ढूंढे।

यूं हुई समस्या
पानी को तरसने वाले बाड़मेर शहर में यह समस्या बढ़ने का पहला कारण पानी का अत्यधिक दोहन हो गया है। नहरी पानी आने से पहले बाड़मेर शहर में 60 लीटर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन पानी आपूर्तिहोता था जो अब 150 लीटर हो गया है। 60 लाख लीटर की बजाय अब 150 लाख लीटर प्रतिदिन पानी आपूर्ति हो रहा है। भू वैज्ञानिकों का मानना है कि मुश्किल से दस प्रतिशत पानी वाष्प बनता है शेष सारा पानी जमीन में किसी न किसी रूप में जाता है। इस कारण पानी जमा होने की रफ्तार तेज हो गई है। यह रफ्तार रही तो एक साल में एक मीटर तक जलस्तर हर वर्ष बढ़ना है।

नहीं होता दोहन
पूर्व में शहर में जलदाय विभाग भी भूमिगत जल का ही दोहन कर रहा था और कुओं बावडियों का पानी इस्तेमाल हो रहा था, लेकिन अब शहर में भूमिगत पानी का दोहन नगण्य हो गया है। सारी आपूर्ति नहरी पानी से हो रही है। नहरी पानी के आने से पहले बाड़मेर के निकट गेहूं, बिशाला रोड, जोशियों का कुंआ व अन्य भूमिगत जलस्त्रोतो से 400 टैंकर पानी प्रतिदिन निकाला जाता था।

आबादी बढ़ी
बाड़मेर शहर की आबादी दस साल पहले पचास हजार थी जो अब ढाई लाख के करीब पहुंच गई है। जितने ज्यादा लोग, उतना ज्यादा पानी का दोहन। इसके अलावा औद्योगिकीकरण, रेस्टोरेंट, होटलें, भवन निर्माण सहित अन्य गतिविधियों में पानी की शहर की खपत दस गुणा बढ़ा दी है।

यहां भुगतने लगे है लोग
शहर की ढाई लाख आबादी करीब 60 हजार मकान है। इसमें से आधे शहर में यह समस्या पहुंच गई है। पहले यह समस्या नेहरू नगर, महावीर नगर, सिणधरी चौराहा सहित रेलवे फाटक के उस तरफ के इलाके में ही थी, जहां अण्डरग्राउण्ड खोदना मुश्किल हो गया था। अब हाईस्कूल रोड, प्रतापजीकी प्रोल, ऑफिसर कॉलोनी व स्टेशन रोड इलाके में भी इस समस्या से लोग रूबरू होने लगे है। ऎसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि लगातार यह समस्या बढ़ती जा रही है। अनुमान है कि इसी रफ्तार से जल स्तर बढ़ा तो पुराना बाड़मेर शहर जो पहाड़ी की तलहटी के निकट बसा है, वहां समस्या नहीं पहुंचेगी।

पेड़-पौधों की कमी
शहर में पेड़ पौधों की संख्या बढ़ने की बजाय लगातार घट रही है। शहर के इर्द-गिर्द जहां कभी खेत और जंगल होते थे, वहां कोलोनियां कट गई है। शहर का विस्तार द्रुत गति से होने से पेड़ो की भी अंधाधुंध कटाई जारी है। पेड़ लगाने को लेकर शहर में नगर परिषद, प्रशासन या अन्य स्तर पर कोई बड़ी योजना नहीं है।

यह है समाधान
इस समस्या का पहला समाधान इस पानी को जमीन में नीचे उतारना है, लेकिन वॉटर लेयर 150 मीटर तक गहरी होने के कारण यह मुश्किल हो रहा है। दूसरा समाधान इस पानी को पाइप के जरिए बाहर निकालकर इसको ट्रीट तक पहुंचाना है। तीसरा इस पानी का स्तर बढ़े नहीं और इसका दोहन लगातार होता रहे। साथ ही इस समस्या के स्थाई समाधान जोधपुर के तर्ज पर नगर परिषद को अन्य कई योजनाएं लानी होगी। इसके लिए तैयारी के साथ योजना बनाना जरूरी है।

यह होंगे दुष्परिणाम
मकानों में भूजल भराव की नौबत आने की आशंका है। अण्डरग्राउण्ड बनाकर भवन खड़ा करने की तो सोच ही नहीं सकते है और दूसरा नीवें भी कमजोर होने का पूरा खतरा है। भवनों में सीलन की समस्या, बरसाती पानी का कई दिनों तक जमा रहना, दीवारों में दरारें आना और कई प्रकार की समस्या इससे खड़ी हो सकती है।

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रिफाइनरी से 107 किलो तांबा और 438 किलो लोहा चोरी, बस में भरकर ले गए स्क्रैप

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पुलिस गिरफ्तार आरोपियों से गहनता से पूछताछ करने में जुटी हुई है। आरोपियों से 107 किलो तांबे का तार व 438 किलो लोहे के स्क्रेप बरामद कर स्क्रेप परिवहन में प्रयुक्त एक बस को भी जब्त किया है।

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  • रिफाइनरी में स्क्रेप चोरी का खुलासा, तीन आरोपी गिरफ्तार
  • आरोपियों से एक बस व बड़ी मात्रा में लोहे व तांबे का स्क्रेप हुआ बरामद

पचपदरा थाना पुलिस ने शुक्रवार को रिफाइनरी से लोहे व तांबे का स्क्रेप चुरा बस से बाहर लाने के मामले का खुलासा करते हुए तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है। पुलिस गिरफ्तार आरोपियों से गहनता से पूछताछ करने में जुटी हुई है। आरोपियों से 107 किलो तांबे का तार व 438 किलो लोहे के स्क्रेप बरामद कर स्क्रेप परिवहन में प्रयुक्त एक बस को भी जब्त किया है।

पुलिस अधीक्षक अभिजीतसिंह ने बताया कि पचपदरा थाने में 26 फरवरी को मगसिह पुत्र रणछोडसिह जाति राजपूत निवासी हनवंत नगर शेरगढ हाल आर एस सेक्युरिटी रिफाइनरी पचपदरा ने मामला दर्ज करवाया कि निर्माणाधीन एचआरआरएल रिफाईनरी प्रोजेक्ट में निर्माण के दौरान उपयोग ली जाने वाली तांबें की तार तथा लोहे के स्क्रेप की चोर चोरी कर ले गए। चोरी घटना को गंभीरता से लेते हुए निर्माणाधीन एचआरआरएल रिफाईनरी प्रोजेक्ट में तांबें की तार तथा लोहे के स्क्रेप चोरी की घटनाओं पर अंकुश लगाने को लेकर एएसपी सुभाषचन्द्र खोजा व डीएसपी पचपदरा भूपेन्द्र चौधरी के सुपरविजन में पचपदरा सीआई अमराराम के नेतृत्व में विशेष टीम गठित की गई।

स्क्रेप चोरी की वारदात को अंजाम देना स्वीकार

टीम ने मुखबिरी तंत्र की मदद से तीन शातिर चोरों को दस्तयाब कर पूछताछ की तो उन्होंने रिफाइनरी में लोहे व तांबे के स्क्रेप चोरी की वारदात को अंजाम देना स्वीकार किया। जिस पर बाड़मेर के भाडखा निवासी जेठाराम पुत्र मोटाराम, आदर्श चवा बाड़मेर निवासी कैलाश कुमार पुत्र ठाकराराम व रूगाराम पुत्र कृपाराम जाट को गिरफ्तार किया गया। गिरफ्तार आरोपियों के कब्जे से 107 किलो तांबे का तार व 438 किलो लोहे के स्क्रेप बरामद कर स्क्रेप परिवहन में प्रयुक्त एक बस को भी जब्त किया गया।

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Lok Sabha Elections 2024 : चुनाव से पहले केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी बोले- ‘मेरी गलती की सजा PM को मत देना’

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आगामी लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) अब बस कुछ ही महीने दूर हैं। बीजेपी समेत प्रमुख पार्टियां उम्मीदवारों के नाम फाइनल करने में जुटी हैं।

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बाड़मेर। आगामी लोकसभा चुनाव अब बस कुछ ही महीने दूर हैं। बीजेपी समेत प्रमुख पार्टियां उम्मीदवारों के नाम फाइनल करने में जुटी हैं। सूत्रों के मुताबिक बीजेपी किसी भी वक्त राजस्थान की 25 लोकसभा सीटों पर उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर सकती है। चर्चा है कि करीब 9-11 मौजूदा सांसदों के टिकट कट सकते हैं।

इस बीच राजस्थान से सांसद और केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी का एक बयान सामने आया है, जिसमें उन्होंने कहा, ‘हो सकता है कि मैं आने-जाने से चूक रहा हूं, लेकिन लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) में मेरी गलती की सजा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) को न दें। देश को ऐसा नेतृत्व दोबारा कभी नहीं मिलेगा।” केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी (Union Minister Kailash Chaudhary) बाड़मेर से बीजेपी सांसद हैं।

इन लोकसभा सीटों पर बदले जा सकते हैं चेहरे

राजस्थान की 11 लोकसभा सीटों पर इस बार चेहरे बदले जा सकते हैं। राजसमंद सांसद रहीं दीया कुमारी, जयपुर ग्रामीण सांसद रहे कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ और अलवर सांसद रहे बाबा बालकनाथ विधायक बन चुके हैं। ऐसे में राजसमंद, जयपुर ग्रामीण और अलवर लोकसभा सीट पर नए उम्मीदवार खड़े किए जाएंगे।


इसके अलावा 3 सीटों के सांसद राजस्थान विधानसभा चुनाव हार गए थे। इस कारण जालोर-सिरोही से देवजी पटेल, अजमेर से भागीरथ चौधरी और झुंझुनूं से नरेंद्र कुमार खींचड़ को फिर से टिकट मिलने पर संशय है। साथ ही उदयपुर से अर्जुन लाल मीणा, भरतपुर से रंजीता कोली, बांसवाड़ा-डूंगरपुर से कनकमल कटारा, दौसा से सांसद जसकौर मीणा और टोंक-सवाई माधोपुर लोकसभा सीट से सांसद सुखबीर सिंह जौनपुरिया की जगह किसी और को मौका दिया जा सकता है।

बीजेपी CEC बैठक में हुआ 155 लोकसभा सीटों पर मंथन

गौरतलब है कि दिल्ली स्थित बीजेपी मुख्यालय में गुरुवार देर रात प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय चुनाव समिति (CEC) की बैठक हुई। जिसमें उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, राजस्थान, गुजरात, छत्तीसगढ़ सहित डेढ़ दर्जन से ज्यादा राज्यों की 155 सीटों पर मंथन हुआ। करीब चार घंटे तक चली मीटिंग में गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्री सहित शीर्ष नेता मौजूद रहे। सीईसी मीटिंग से पहले प्रधानमंत्री निवास पर 6 घंटे तक चली बैठक में 21 राज्यों की 300 सीटों पर उम्मीदवारों का पैनल तैयार किया गया।

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BITS Pilani student Suicide: बिट्स पिलानी की स्टूडेंट ने की खुदकुशी, सुसाइड नोट में भाई को लिखा- मम्मी का ध्यान रखना

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BITS Pilani student Suicide: बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस (BITS) पिलानी की एक छात्रा ने सुसाइड कर लिया है. छात्रा हरियाणा के जींद की रहने वाली थी. वो यहां पीएचडी कर रही थी. पुलिस मामले की छानबीन में लगी है.

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BITS Pilani student Suicide: शुक्रवार शाम राजस्थान के झुंझनूं जिले में स्थित देश के प्रतिष्ठित संस्थान बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस (BITS) पिलानी से एक छात्रा के सुसाइड करने की खबर सामने आई. मिली जानकारी के अनुसार छात्रा ने बिट्स कैंपस के ही एक हॉस्टल में अपने कमरे में दुपट्टे से फंदा लगा कर सुसाइड कर लिया. मौके से पुलिस ने दो लाइन का सुसाइड नोट भी बरामद किया है. जिसमें आत्महत्या करने वाली छात्रा ने अपने भाई को मां का ध्यान रखने के बारे में लिखा है. 

सुसाइड के लिए किसी को नहीं ठहराया जिम्मेदार

सुसाइड नोट में मृतका ने अपनी मौत के लिए किसी को जिम्मेदार नहीं ठहराया है. भाई को लिखा है कि मम्मी का ध्यान रखना. सीआई नारायण सिंह ने बताया कि बिट्स प्रशासन की ओर पुलिस को सूचना मिली थी कि बिट्स में केमेस्ट्री पीएचडी की सेकेंड ईयर की छात्रा ​ने सुसाइड कर लिया है. सुसाइड करने वाली छात्रा की पहचान जींद हरियाणा निवासी 25 वर्षीया दीक्षा रोहिला के रूप में हुई. 

दुपट्टे का फंदा लगाकर किया सुसाइड

दीक्षा ने अपने कमरे में दुपट्टे का फंदा लगाकर सुसाइड कर लिया है. जिसके बाद पुलिस मौके पर पहुंची और शव को बिरला सार्वजनिक अस्पताल की मोर्चरी में लाया गया. जहां पर परिजनों के आने के बाद शव का पोस्टमार्टम कराकर परिजनों को सौंपा गया. 

केमिस्ट्री पीएचडी सेकेंड ईयर की छात्रा थी दीक्षा

पुलिस ने बताया कि मौके पर एक सुसाइड नोट मिला है. जिसमें छोटे भाई को लिखा है कि मम्मी का ध्यान रखना और मेरी मौत के लिए कोई जिम्मेदार नहीं है. छात्रा ने सुसाइड क्यों किया…  यह अभी जांच का विषय है. यह जानकारी सामने आई कि दीक्षा केमिस्ट्री पीएचडी सेकेंड ईयर की छात्रा थी. दीक्षा ऑर्गेनिक सिंथेसिस विषय में डॉ. अनिल कुमार के निर्देशन में पीएचडी कर रही थी. वह कैंपस के बुद्ध भवन में वह रहती थी. फिलहाल पुलिस मामले की छानबीन में जुटी है. 

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