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Vote For Note Case: अब सदन में नोट के बदले वोट देने से पहले 100 बार सोचेंगे सांसद और विधायक, सुप्रीम कोर्ट ने दिया अहम फैसला

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Supreme Court Crucial Verdict: पूर्व पीएम पी. वी. नरसिम्हा राव केस में 5 जजों के संविधान पीठ के फैसले पलटते हुए सुप्रीम कोर्ट 7 जजों के पैनल ने सहमति से यह फैसला सुनाया. इनमें CJI डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस एएस बोपन्ना, जस्टिस एमएम सुंदरेश, जस्टिस पीएस नरसिम्हा, जेबी पारदीवाला, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच शामिल थे.

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Supreme Court Verdict on Vote For Note Case: कैश फॉर वोट मामले में रविवार को अहम फैसला सुनाते हुए देश के सर्वोच्च न्यायालय ने सांसदों और विधायकों को सदन में भाषण देने या वोट डालने के लिए रिश्वत लेने पर कानूनी संरक्षण के मामले में कहा है कि वोट के बदले नोट लेने वाले सांसदों / विधायकों को कानूनी संरक्षण नहीं है.

पूर्व पीएम पी. वी. नरसिम्हा राव केस में 5 जजों के संविधान पीठ के फैसले पलटते हुए सुप्रीम कोर्ट 7 जजों के पैनल ने सहमति से आज यह फैसला सुनाया. इनमें CJI डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस एएस बोपन्ना, जस्टिस एमएम सुंदरेश, जस्टिस पीएस नरसिम्हा, जेबी पारदीवाला, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच शामिल थे.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वागत किया है. एक्स पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रधानमंत्री ने लिखा, स्वागतम! माननीय सर्वोच्च न्यायालय का एक महान निर्णय जो स्वच्छ राजनीति सुनिश्चित करेगा और व्यवस्था में लोगों का विश्वास गहरा करेगा. 

पी. वी. नरसिम्हा राव केस में 5 जजों के संविधान पीठ का फैसला पलटा

सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा, “सांसदों/विधायकों पर वोट देने के लिए रिश्वत लेने का मुकदमा चलाया जा सकता है. 1998 के पी. वी. नरसिम्हा राव मामले में पांच जजों के संविधान पीठ का फैसला पलट दिया है. ऐसे में नोट के बदले सदन में वोट देने वाले सांसद/ विधायक कानून के कटघरे में खड़े होंगे. केंद्र ने भी ऐसी किसी भी छूट का विरोध किया था.”

रिश्वतखोरी संसदीय विशेषाधिकारों द्वारा संरक्षित नहीं है, 1998 के फैसले की व्याख्या संविधान के अनुच्छेद 105, 194 के विपरीत है- सुप्रीम कोर्ट

अपराध उस समय पूरा हो जाता है, जब सांसद या विधायक रिश्वत लेता है…

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “अनुच्छेद 105(2) या 194 के तहत रिश्वतखोरी को छूट नहीं दी गई है, क्योंकि रिश्वतखोरी में लिप्त सदस्य एक आपराधिक कृत्य में शामिल होता है, जो वोट देने या विधायिका में भाषण देने के कार्य के लिए आवश्यक नहीं है. अपराध उस समय पूरा हो जाता है, जब सांसद या विधायक रिश्वत लेता है.”

सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा, ऐसे संरक्षण के व्यापक प्रभाव होते हैं. राजव्यवस्था की नैतिकता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. हमारा मानना ​​है कि रिश्वतखोरी संसदीय विशेषाधिकारों द्वारा संरक्षित नहीं है. इसमें गंभीर ख़तरा है. ऐसा संरक्षण ख़त्म होने चाहिए.

रिश्वतखोरी संसदीय लोकतंत्र की कार्यप्रणाली को नष्ट कर देगी: SC

सीजेआई ने फैसला सुनाते हुए कहा, “एक सासंद/ विधायक छूट का दावा नहीं कर सकता, क्योंकि दावा सदन के सामूहिक कामकाज से जुड़ा है. अनुच्छेद 105 विचार-विमर्श के लिए एक माहौल बनाए रखने का प्रयास करता है. इस प्रकार जब किसी सदस्य को भाषण देने के लिए रिश्वत दी जाती है, तो यह माहौल खराब हो जाता है. सांसदों/ विधायकों द्वारा भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी भारतीय संसदीय लोकतंत्र की कार्यप्रणाली को नष्ट कर देती है.”

JMM सांसदों के रिश्‍वत मामले पर नए सिरे से होगी जांच  

सितंबर 2023 में CJI चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली 5-जे बेंच ने कहा था कि पीठ झारखंड मुक्ति मोर्चा सांसदों के रिश्वत मामले में फैसले की नए सिरे से जांच करेगी. इसमें 1993 में राव सरकार के खिलाफ विश्वास प्रस्ताव के दौरान सांसदों ने कथित तौर पर किसी को हराने के लिए रिश्वत ली थी. CJI ने कहा था कि विधायिका के सदस्यों को परिणामों के डर के बिना सदन के पटल पर अपने विचार व्यक्त करने के लिए स्वतंत्र होना चाहिए.

भाजपा सांसद मुख़्तार अब्बास नक़वी ने प्रतिक्रिया में लिखा, “जब जनता, जनादेश देकर आपको चुनती है, इसके बाद ऐसे लोग जो जनता के जनादेश के साथ विश्वासघात करते हैं, तो उन्हें ना कानूनी संरक्षण मिल सकता है और ना ही सियासी संरक्षण मिल सकता है.”

कोर्ट ने फैसले में कहा, अनुच्छेद 19(1)(ए) अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के व्यक्तिगत अधिकार को मान्यता देता है. 105(2) और 194(2) का उद्देश्य प्रथम दृष्टया आपराधिक कानून के उल्लंघन के लिए दंडात्मक कार्यवाही शुरू करने से प्रतिरक्षा प्रदान करना नहीं लगता है, जो संसद के सदस्य के रूप में अधिकारों और कर्तव्यों के प्रयोग से स्वतंत्र रूप से उत्पन्न हो सकता है. ऐसे मामले में छूट केवल तभी उपलब्ध होगी जब दिया गया भाषण या दिया गया वोट देनदारी को जन्म देने वाली कार्यवाही के लिए कार्रवाई के कारण का एक आवश्यक और अभिन्न अंग है. 

सर्वोच्च न्यायालय ने कहा, यह मामला सीता सोरेन बनाम भारत संघ है. ये मामला जनप्रतिनिधि की रिश्वतखोरी से संबंधित है. इस मामले के तार नरसिंहराव केस से जुड़े हैं जहां सांसदों ने वोट के बदले नोट लिए थे. यह मसला अनुच्छेद 194 के प्रावधान 2 से जुड़ा है, जहां जन प्रतिनिधि को उनके सदन में डाले वोट के लिए रिश्वत लेने पर मुकदमे में घसीटा नहीं जा सकता है, उन्हें छूट दी गई है.

इस मामले में याचिकाकर्ता सीता सोरेन झारखंड के मौजूदा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को भाभी हैं और उस समय हुए वोट के लिए नोट लेने की आरोपी भी. सीता के खिलाफ सीबीआई जांच कराने की गुहार लगाते हुए 2012 में निर्वाचन आयोग में शिकायत दर्ज कराई गई थी.

सीता सोरेन को जन सेवक के तौर पर गलत काम करने के साथ आपराधिक साजिश रचकर जन सेवक की गरिमा घटाने वाला काम करने का आरोपी बनाया गया था. झारखंड हाईकोर्ट ने 2014 में केस रद्द कर दिया था. तब हाईकोर्ट ने कहा कि सीता ने उस पाले में वोट नहीं किया था जिसके बारे में रिश्वत की बात कही जा रही है. 

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Lok sabha Election 2024: मेरी गलती की सजा PM मोदी को मत देना… लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा सांसद के बयान से बढ़ी सियासी हलचल

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Lok Sabha Election 2024: मेरी गलती की सजा देश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ना देना क्योंकि पीएम मोदी जी जैसा नेतृत्व दोबारा नहीं मिलेगा… यह कहना है कि भाजपा सासंद और केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी का. उनके इस बयान से राजस्थान की सियासी हलचल तेज हो गई है.

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Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारी तेज हो चली है. भाजपा, कांग्रेस सहित सभी राजनीतिक दलें अपनी तैयारियों में जुटी हैं. भाजपा से प्रत्याशियों की पहली लिस्ट जल्द जारी होने वाली है. इस बीच राजस्थान के एक भाजपा सांसद का बयान सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है. इस बयान में भाजपा सांसद यह कहते सुनाई पड़ रहे हैं कि मेरी गलती की सजा प्रधानमंत्री मोदी को मत देना… मामला राजस्थान के बाड़मेर जिले से सामने आया है. जहां केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए यह बयान दिया. कैलाश चौधरी के इस बयान के कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं. 

दरअसल शुक्रवार को बाड़मेर में आयोजित कार्यक्रम में मंच से बोलते हुए केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी ने कहा कि उनके कार्यकाल में जो संभव हो सका वो काम करने की कोशिश की है. लेकिन हर काम हो, हर किसी को जवाब दे पाऊं ये संभव नहीं है. कोई गलती भी हुई होगी लेकिन उन गलतियों की सजा देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नहीं मिले. क्योंकि देश को ऐसे आदमी का नेतृत्व दुबारा नहीं मिल सकता.

स्पेशल ट्रेन के शुभांरभ के मौके पर मंच से बोले मंत्री

दरअसल केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने शुक्रवार को बाड़मेर से मुनाबाव के बीच शुरू की गई स्पेशल रेल के शुभारंभ कार्यक्रम में शामिल हुए थे और इसी कार्यक्रम में मंच बोलते हुए मंत्री ने कहा की देश में पीएम मोदी के नेतृत्व में पिछले 10 साल में इंफ्रास्ट्रक्चर के नजरिए से बेहतरीन कार्य हुए. लेकिन कांग्रेस ने पिछले 60 सालों में जो गड्ढे खोद रखे थे, पीएम मोदी ने पिछले 5 साल के कार्यकाल में उन खड्डो को भरने का काम किया है और इन 5 सालो में विकसित भारत की नींव रखी गई है और अब पीएम मोदी विकसित भारत के नींव को भरने का काम हो चुक है अब अगले अब विकसित भारत 2047 काम होगा.

मेरी गलती की सजा पीएम मोदी को ना देना, क्योंकि…

साथ ही मंत्री कैलाश चौधरी ने पूर्व की सरकारों पर हमला बोलते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने जितने काम करवाए, ऐसे काम देश में पहले की सरकारों ने किए होते तो हमारा देश कब का विकसित राष्ट्र बन जाता. इस दौरान मंत्री आमजन को संबोधित करते हुए कहा कि हो सकता है कि मेरे से कोई गलती रही होगी, कहीं कोई चूक रही हो मेरे आने-जाने, मेरे समय में या आपसे बात करने में या कोई काम आपने कहा हो, उसे नहीं करने में क्योंकि सब जगह पर सब चीज नहीं होती है. उन्होंने कहा कि मेरी गलती की सजा देश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ना देना क्योंकि पीएम मोदी जी जैसा नेतृत्व दोबारा नहीं मिलेगा.

कैलाश चौधरी के बयान के सियासी मायने

कैलाश चौधरी के इस बयान के कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं. राजनीति के जानकारों का कहना है कि कैलाश चौधरी का टिकट खतरे में हैं. बीते कुछ दिनों में क्षेत्र में उनका विरोध भी देखने को मिला था. ऐसे में अब कैलाश चौधरी के इस बयान ने और भी अटकलें तेज कर दी है. अब देखना है कि भाजपा राजस्थान में किन-किन सांसदों का टिकट काटती है. 

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Rajasthan Politics: झूठ बोलो, बार बार बोलो, जोर से बोलो… भजनलाल सरकार पर राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष डोटासरा का तीखा हमला

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Rajasthan Politics: गुरुवार को राजस्थान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने प्रदेश की भाजपा सरकार पर तीखे हमले किए. ईआरसीपी और हरियाणा के साथ हुए यमुना जल समझौते पर सवाल उठाते हुए डोटासरा ने कहा कि राजस्थान में भजन सरकार नहीं भ्रमण और भ्रमित सरकार है.

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Rajasthan Politics: लोकसभा चुनाव से पहले राजस्थान में सियासी तपिश तेज होती जा रही है. भाजपा-कांग्रेस के बीच खूब जुबानी जंग चल रही है. इस बीच गुरुवार को कांग्रेस की राजस्थान इकाई के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने गुरुवार को पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ERCP) समझौते और यमुना जल बंटवारे को लेकर राज्य की भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि ‘डबल इंजन’ की यह सरकार राजस्थान के हितों के साथ में कुठाराघात करने के लिये बनी है.

झूठ बोलकर लोकसभा चुनाव में वोटों की फसल काटनी चाहती है भाजपाः डोटासरा

डोटासरा ने मीडिया से कहा, ‘‘यह डबल इंजन की सरकार लोगों को धोखा देने के लिए बनी हुई है… यह डबल इंजन की सरकार लोगों को भ्रमित कर रही है और झूठ बोलकर लोकसभा चुनाव में वोटों का फसल काटना चाहती है.. इसमें ये कामयाब नहीं होंगे.”

ERCP और यमुना जल समझौते को सार्वजनिक करने की मांग

कांग्रेस नेता ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से मध्य प्रदेश सरकार के साथ ईआरसीपी और हरियाणा सरकार के साथ यमुना जल को लेकर हुए समझौते को मीडिया के सामने रखने की मांग की. उन्होंने दावा किया कि भाजपा सरकार की सभी आभार यात्राएं फेल हो रही हैं और उसमें जनता नहीं आ रही है.

मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व वाली राज्य सरकार पर हमला करते हुए इसे ‘भ्रमणकारी सरकार’ बताया. उन्होंने कहा, ‘‘ भाजपा और आरएसएस का मुख्य एजेंडा यही रहता है कि झूठ बोलो.. बार बार बोलो.. जोर से बोलो, जिससे लोगों को झूठ सच लगने लग जाये और वोट की फसल हम काट सकें.”

उन्होंने कहा, ‘‘पहले ईआरसीपी के नाम पर धोखा किया गया, जहां 3510 एमसीएम पानी मिलना था, वहां ये 2400 एमसीएम का सौदा करके आ गए. यमुना जल बंटवारे के नाम पर भाजपा सरकार ने हरियाणा सरकार के सामने घुटने टेक दिये.”

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Lok Sabha Elections 2024: राजस्थान की 15 लोकसभा सीटों पर नए चेहरे उतार सकती है BJP, इन 7 सीट पर तय हुए उम्मीदवारों के नाम!

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Rajasthan BJP Candidate List: बीजेपी केंद्रीय चुनाव समिति की आज दिल्ली में होने वाली बैठक में उम्मीदवारों के नाम पर फाइनल मुहर लग जाएगी. सूत्रों के अनुसार, आज लोकसभा चुनाव के लिए देशभर के 100 उम्मीदवारों के नाम बीजेपी जारी कर सकती है.

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Rajasthan Politics: देश की राजधानी दिल्ली में गुरुवार शाम बीजेपी केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक (BJP CEC Meeting) बुलाई गई है. इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा, राजस्थान बीजेपी अध्यक्ष सीपी जोशी और सीएम भजन लाल शर्मा समेत अन्य बीजेपी शासित राज्यों के प्रदेशाध्यक्ष, मुख्यमंत्री और जिन राज्यों में बीजेपी की सरकार नहीं है, वहां के नेता प्रतिपक्ष मौजूद रहेंगे. इस दौरान लोकसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों की पहली सूची पर फाइनल मोहर लगाई जाएगी. 

3-3 नामों के पैनल पर हुई चर्चा

इससे पहले बुधवार को प्रदेश बीजेपी कोर कमेटी की बैठक (State BJP Core Committee Meeting) दिल्ली में बीजेपी मुख्यालय में हुई थी. इस मीटिंग में राजस्थान के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा और प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, उप मुख्यमंत्री दीया कुमारी, डॉ. प्रेमचंद बैरवा, प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह, प्रदेश सह प्रभारी विजया राहटकर और अन्य नेता मौजूद रहे थे. इस दौरान प्रदेश की सभी 25 लोकसभा सीटों पर तैयार किए गए 3-3 नामों के पैनल पर चर्चा हुई. इसके बाद 1 से 2 नामों के पैनल तैयार किए गए, जिन पर सीईसी को निर्णय करना है. 

इन सीटों पर उम्मीदवारों के नाम पर सहमति

ऐसा माना जा रहा है कि कोर कमेटी की बैठक में राजस्थान की 7 लोकसभा सीटों पर प्रत्याशियों के सिंगल नामों पर सहमति बन गई है. जबकि 5 से 7 सीटों पर 2-2 नामों के पैनल तैयार हुए हैं. जिन्हें आज केंद्रीय चुनाव समिति यानी सीईसी की बैठक में रखा जाएगा.  इसके बाद पहली घोषित होने वाली उम्मीदवारों की लिस्ट में राजस्थान की इन सीटों पर भी प्रत्याशी घोषित किए जा सकते हैं. बैठक में  झालावाड़ा-बारां, कोटा-बूंदी, जोधपुर, बीकानेर, चित्तौड़गढ़, बांसवाड़ा और चूरू सीटों पर उम्मीदवारों के नाम पर सहमति बन चुकी है.  माना जा रहा है कि बीजेपी इन सीटों पर पहली ही लिस्ट में अपने लोकसभा चुनाव उम्मीदवार घोषित कर सकती है.  

100 प्रत्याशियों के नाम का ऐलान संभव

सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी पहले चरण में देशभर में लगभग 100 प्रत्याशियों की घोषणा कर सकती है. सीईसी की बैठक के बाद कभी भी बीजेपी प्रत्याशियों की पहली सूची जारी हो सकती है. पिछले विधानसभा चुनाव की तरह पार्टी ने राजस्थान की 25 लोकसभा सीटों को भी ‘ए’ और ‘बी’ कैटेगरी में बांटा है. ‘ए’ कैटेगरी में ऐसी सीटें शामिल हैं, जो सुरक्षित और जिताऊ मानी जा रही हैं. इनमें कोटा-बूंदी, झालावाड़-बारां, जोधपुर, जालोर, पाली, बीकानेर, जयपुर शहर, जयपुर ग्रामीण, भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़, अजमेर, उदयपुर, डूंगरपुर-बांसवाड़ा, श्रीगंगानगर-हनुमानगढ़, सीकर, झुंझुनूं, चूरू और राजसमंद सीटें आती हैं. जबकि ‘बी’ कैटेगरी में  दौसा, भरतपुर, करौली-धौलपुर, टोंक-सवाई माधोपुर, बाड़मेर,  नागौर और अलवर लोकसभा सीटों को शामिल किया गया है. 

15 सीटों पर चेहरा बदलने की कवायद

2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने नागौर सीट को आरएलपी के हनुमान बेनीवाल से गठबंधन कर जीता था. इस बार गठबंधन न होने के कारण बीजेपी सभी 25 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े करेगी. इसके लिए नागौर समेत करीब 15 सीटों पर चेहरे बदलने की कवायद चल रही है. इनमें से 6 सीटें वह हैं, जिनके लोकसभा सांसदों को बीजेपी ने विधानसभा चुनाव लड़ाया था. इनमें राजसमंद सांसद रहीं दीया कुमारी, जयपुर ग्रामीण सांसद रहे कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ और अलवर सांसद रहे बाबा बालकनाथ विधायक बन चुके हैं. इसलिए राजसमंद, जयपुर ग्रामीण और अलवर लोकसभा सीट पर नए उम्मीदवार खड़े किए जाएंगे. इनके अलावा 3 सीटों के सांसद विधानसभा चुनाव हार गए थे. इसलिए उन सीटों पर भी उम्मीदवार बदलने की भी पूरी संभावना बन रही है. इनमें जालोर-सिरोही से देवजी पटेल, अजमेर से भागीरथ चौधरी और झुंझुनूं से नरेंद्र कुमार खींचड़ हैं, जिनको टिकट मिलने पर संशय है. 

नागौर में हो सकता है चौंकाने वाला चेहरा

इन सीटों के अलावा जयपुर शहर से रामचरण बोहरा, टोंक- सवाई माधोपुर से सुखबीर सिंह जौनापुरिया, दौसा से जसकौर मीना, करौली-धौलपुर से मनोज राजोरिया, उदयपुर से अर्जुनलाल मीना, डूंगरपुर-बांसवाड़ा से कनकमल कटारा, श्रीगंगानगर-हनुमानगढ़ से निहालचंद मेघवाल और भीलवाड़ा लोकसभा सीट से सुभाष चंद्र बहेड़िया की जगह भी पार्टी नए उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में खड़ा कर सकती है. जबकि नागौर में भी नया चौंकाने वाला चेहरा खड़ा किया जाएगा.

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